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किस्से कहानियाँ

कहानी और गीत हिन्दी लोक कथा Kahani Aur Geet Story in Hindi

कहानी और गीत हिन्दी लोक कथा Kahani Aur Geet Story in Hindi

(पक्षी इसलिए नहीं गाते क्योंकि उनके पास कोई उत्तर हैं,
वे इसलिए गाते हैं क्योंकि उनके पास गीत हैं।-एक चीनी कहावत)

कोई एक महिला थी जिसे एक कहानी मालूम थी। उसे एक गीत भी याद था। लेकिन उसने कभी किसी को न वह कहानी सुनाई थी, न गीत। कहानी और गीत उसके भीतर बन्द थे, और बाहर आना चाहते थे, भाग निकलना चाहते थे।

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एक दिन रात में सोते समय उस महिला का मुँह खुला रह गया और मौका देख कहानी बच निकली, बाहर आन गिरी, जूतों की एक जोड़ी में बदल गई और घर के बाहर जा बैठी। गीत भी निकल भागा और आदमी के कोट जैसी किसी चीज़ में बदलकर खूँटी पर लटक लिया।

उस महिला का पति जब घर लौटा, उसे जूते और कोट दिखाई दिए, और तुरन्त उसने अपनी पत्नी से पूछा, “कौन है घर में?”
“कोई भी नहीं,” महिला बोली।
“फिर ये कोट और जूते किसके हैं?”
“मुझे नहीं मालूम,” उसने उत्तर दिया।

वह आदमी अपनी पत्नी के उत्तर से सन्तुष्ट नहीं हुआ। उसे अपनी पत्नी पर शक हुआ। जिस पर उनके बीच खूब कहा-सुनी हुई और वे भयंकर झगड़ा करने लगे। घरवाला गुस्से से पगला उठा, उसने अपना कम्बल उठाया, और रात बिताने हनुमान जी के मन्दिर में चला आया।

कहानी और गीत हिन्दी लोक कथा Kahani Aur Geet Story in Hindi

वह महिला सोचती रह गई, लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आया। अकेली लेटकर वह रात में सोचती रही: “आखिर किसके हैं ये जूते और यह कोट!” दुख और असमंजस में उसने लालटेन बुझाई और उसे नींद आ गई।

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शहर-भर की लालटेनों की बत्तियाँ जब बुझ जातीं, तो वे रातभर गपशप करने हनुमान जी के मन्दिर चली आतीं। उस रात भी शहर की सारी बत्तियाँ वहाँ थीं – बस एक को छोड़कर। वह काफी देर से आई। दूसरी बत्तियों ने पूछा, “आज इतनी देर से क्यों आई?”
“हमारे घर में आज पति-पत्नी का झगड़ा जो चल रहा था,” आग की वह लौ बोली।
“क्यों झगड़ रहे थे वे?”
“पति घर पर नहीं था तो जूतों की एक जोड़ी घर के बाहर आ बैठी और अन्दर की एक खूँटी पर एक मर्दाना कोट आकर टंग लिया। पति ने पूछा कोट और जूते किसके हैं। पत्नी बोली वह नहीं जानती। इस बात पर वे झगड़ने लगे।”
“कोट और जूते आए कहाँ से थे?”

“घर की मालकिन को एक कहानी मालूम थी और एक गीत। वह न तो किसी को कहानी सुनाती है, न गीत। कहानी और गीत का दम घुट रहा था, तो वे बच कर भाग निकले और कोट और जूतों में बदल गए। वे बदला लेना चाहते थे। औरत को तो पता ही नहीं चला।”

कम्बल ओढ़कर लेटे आदमी ने लालटेन की पेश की हुई दलील को सुना। उसका शक जाता रहा। जब वह घर वापिस पहुँचा तो सुबह हो चुकी थी। उसने अपनी पत्नी से उसके भीतर की कहानी और गीत के बारे में पूछा। लेकिन वह तो उन्हें भूल चुकी थी। वह बोली,
“कैसी कहानी, कौन-सा गीत?”

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