क्विज़ खेलों और पैसे कमाओ

Download App from Google Play Store
किस्से कहानियाँ

बकरी और सियार हिन्दी कहानी Bakri Aur Siyar Story in Hindi

बकरी और सियार हिन्दी कहानी Bakri Aur Siyar Story in Hindi

एक बकरी थी। रोज़ सुबर जंगल चली जाती थी – सारा दिन जंगल में चरती और जैसे ही सूर्य विदा लेते इस धरती से, बकरी जंगल से निकल आती। रात के वक्त उस जंगल में रहना पसन्द नहीं था। रात को वह चैन की नींद सो जाना चाहती थी। जंगल में जंगली जानवर क्या उसे सोने देगें?

हमारे इस कहानी को भी पड़े : महुआ का पेड़ हिन्दी कहानी

जंगल के पास उसने एक छोटा सा घर बनाया हुआ था। घर आकर वह आराम से सो जाती थी।

कुछ महीने बाद उसके चार बच्चे हुए। बच्चों का नाम उसने रखा आले, बाले, छुन्नु और मुन्नु। नन्हें-नन्हें बच्चे बकरी की ओर प्यार भरी निगाहों से देखते और माँ से लिपट कर सो जाते।
बकरी कुछ दिनों तक जंगल नहीं गई। आस-पास उसे जो पौधे दिखते, उसी से भूख मिटाकर घर चली जाती और बच्चों को प्यार करती।

एक दिन उसने देखा कि आसपास और कुछ भी नहीं है। अब तो फिर से जंगल में ही जाना पड़ेगा – क्या करे? एक सियार आस-पास घूमता रहता है। वह तो आले, बाले, छुन्नु और मुन्नु को नहीं छोड़ेगा। कैसे बच्चों की रक्षा करे? बकरी बहुत चिन्तित थी। बहुत सोचकर उसने एक टटिया बनाया और बच्चों से कहा – “आले, बाले, छुन्नु और मुन्नु, ये टटिया न खोलना, जब मैं आऊँ, आवाज़ दूँ, तभी ये टटिया खोलना” – सबने सर हिलाया और कहा – “हम टटिया न खोले, जब तक आप हमसे न बोले”।

बकरी अब निश्चिन्त होकर जंगल चरने के लिए जाने लगी। शाम को वापस आकर आवाज़ देती –

“आले टटिया खोल
बाले टटिया खोल
छुन्नु टटिया खोल
मुन्नु टटिया खोल”

आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु दौड़कर दरवाज़ा खोल देते और माँ से लिपट जाते।

वह सियार तो आस-पास घुमता रहता था। उसने एक दिन एक पेड़ के पीछे खड़े होकर सब कुछ सुन लिया। तो ये बात है। बकरी जब बुलाती, तब ही बच्चे टटिया खोलते।

बकरी और सियार हिन्दी कहानी Bakri Aur Siyar Story in Hindi

एक दिन बकरी जब जंगल चली गई, सियार ने इधर देखा और उधर देखा, और फिर पहुँच गया बकरी के घर के सामने। और फिर आवाज लगाई –

हमारे इस कहानी को भी पड़े : मार के आगे भूत भागा हिन्दी कहानी

आले टटिया खोल
बाले टटिया खोल
छुन्नु टटिया खोल
मुन्नु टटिया खोल

आले, बाले, छुन्नु और मुन्नु ने एक दूसरे की ओर देखा –

“इतनी जल्दी आज माँ लौट आई” – चारों बड़ी खुशी-खुसी टटिया के पास आये और टटिया खोल दिये।

सियार को देखकर बच्चों की खुशी गायब हो गई। चारों उछल-उछल कर घर के और भीतर जाने लगे। सियार कूद कर उनके बीच आ गया और एक-एक करके पकड़ने लगा।

आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु रोते रहे, मिमियाते रहे पर सियार ने चारों को खा लिया।

शाम होते ही बकरी भागी-भागी अपने घर पहुँची – उसने दूर से ही देखा कि टटिया खुली है। डर के मारे उसके पैर नहीं चल रहे थे। वह बच्चों को बुलाती हुई आगे बढ़ी – आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु। पर ना आले आया ना बाले, न छुन्नु न मुन्नु।

बकरी घर के भीतर जाकर कुछ देर खूब रोई। उसके बाद वह उछलकर खड़ी हो गई। ध्यान से दखने लगी ज़मीन की ओर। ये तो सियार के पैरों के निशान हैं। तो सियार आया था। उसके पेट में मेरे आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु हैं।

बकरी उसी वक्त बढ़ई के पास गई और बढ़ई से कहा – “मेरे सींग को पैना कर दो” –

“क्या बात है? किसको मारने के लिए सींग को पैने कर रहे हो” –

बकरी ने जब पूरी बात बताई, बढ़ई ने कहा – “तुम सियार से कैसे लड़ाई करोगी? सियार तुम्हें मार डालेगा। वह बहुत बलवान है” –

बकरी ने कहा, “तुम मेरे सींग को अच्छी तरह अगर पैने कर दोगे, मैं सियार को हरा दूँगी” –
बढ़ई ने बहुत अच्छे से बकरी के सींग पैने कर दिए।
बकरी अब एक तेली के पास पहुँची। तेली से बकरी ने कहा – “मेरे सीगों पर तेल लगा दो और उसे चिकना कर दो” –
तेली ने बकरी के सीगों को चिकना करते करते पूछा – “अपने सीगों को आज इतना चिकना क्यों कर रहे हो?”
बकरी ने जब पूरी कहानी सुनाई, तेली ने और तेल लगाकर उसके सीगों को और भी चिकना कर दिया।

अब बकरी तैयार थी। वह उसी वक्त चल पड़ी जंगल की ओर। जंगल में जाकर सियार को ढ़ूढ़ने लगी। कहाँ गया है सियार? जल्दी उसे ढ़ूड निकालना है। आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु उसके पेट में बंद हैं। अंधेरे में न जाने नन्हें बच्चों को कितनी तकलीफ हो रही होगी।
बकरी दौड़ने लगी – पूरे जंगल में छान-बीन करने लगी।
बहुत ढूँढ़ने के बाद बकरी पहुँच गई सियार के पास। सियार का पेट इतना मोटा हो गया था, आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु जो उसके भीतर थे।
बकरी ने कहा – “मेरे बच्चों को लौटा दो”, सियार ने कहा – “तेरे बच्चों को मैनें खा लिया है अब मैं तुझे खाऊँगा”।
बकरी ने कहा – मेरे सींगो को देखो। कितना चिकना है “तुम्हारा पेट फट जायेगा – जल्दी से बच्चे वापस करो”।
सियार ने कहा – “तू यहाँ मरने के लिये आई है”।
बकरी को बहुत गुस्सा आया। वह आगे बहुत तेजी से बढ़ी और सियार के पेट में अपने सींग घोंप दिए।
जैसे ही सियार का पेट फट गया, आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु पेट से निकल आये। बकरी खुशी से अब चारों को लेकर घर लौट कर आई।
तब से आले, बाले, छुन्नु, मुन्नु टटिया तब तक नहीं खोलते जब तक बकरी दो बार तो कभी तीन बार दरवाजा खोलने के लिए न कहती।
रोज सुबह जाने से पहले बकरी उन चारों से फुसफुसाकर कहकर जाती कि वह कितने बार टटिया खोलने के लिए कहेगी।

Rate this post

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button

Adblock Detected

गजब अड्डा के कंटेन्ट को देखने के लिए कृपया adblocker को disable करे, आपके द्वारा देखे गए ads से ही हम इस साइट को चलाने मे सक्षम है