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भेड़िया और सिंह ईसप की कहानी Bhedia Aur Sinh Aesop’s Fable Story in Hindi

भेड़िया और सिंह ईसप की कहानी Bhedia Aur Sinh Aesop's Fable Story in Hindi

एक बार की बात है कि एक भेड़िया और एक सिंह शिकार की तलाश में साथ-साथ घूम रहे थे। एक प्रकार से भेड़िया शेर का मंत्री था।

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भेड़िये की सलाह पर शेर गौर अवश्य करता था। घूमते समय अचानक भेड़िये को भेड़ों के मिमियाने की आवाज़ सुनाई पड़ी।
‘‘आपने भेड़ों के मिमियाने की आवाज सुनी महाराज ?’’ भेड़िये ने पूछा, फिर बोला—‘‘आप यहीं ठहरिए। मैं जाकर देखता हूं और यदि हो सका तो एक मोटी-ताजी भेड़ मारकर आपके भोजन का प्रबन्ध करता हूं।’’
‘‘ठीक है।’’ सिंह बोला—‘‘मगर अधिक समय मत लगाना। मैं भूखा हूं।’’
भेड़िया भेड़ की तलाश में निकल पड़ा।

कुछ सौ गज आगे जाकर वह भेड़बाड़े के पास जा पहुंचा। मगर यह देखकर भेड़िये का मुंह लटक गया कि भेड़बाड़े के सभी दरवाजे मजबूती से बंद थे तथा बड़े-बड़े खूंखार कुत्ते भी भेड़बाड़े की निगरानी कर रहे थे।

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भेड़िया समझ गया कि उसकी दाल नहीं गलने वाली। अब क्या करे ?
उसने सोचा कि जान जोखिम में डालने से तो बेहतर है कि लौट कर सिंह से कोई बहाना बना दिया जाए।

यह सोच भेड़िया लौट आया और सिंह से बोला—‘‘उन भेड़ों का शिकार करना बेकार है। वे बहुत दुबली-पतली और बीमार सी लगती हैं। उनके शरीर में जरा भी मांस नहीं है। उन्हें तो उनके हाल पर ही छोड़ देना अच्छा है। जब उनके शरीर पर चर्बी चढ़ जाए, तभी उन्हें खाना ठीक रहेगा और वैसे भी मोटी-ताजी भेड़ों को खाकर ही हमारी भूख मिट सकती है।’’

निष्कर्ष: डरपोक व्यक्ति खतरे से बचने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ़ ही लेता है।

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