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फैक्ट्सरोचक

स्वामी विवेकानंद के बारे में रोचक तथ्य

Swami Vivekananda Interesting Facts in Hindi
स्वामी विवेकानंद के बारे में रोचक तथ्य

स्वामी विवेकानंद के बारे में रोचक तथ्य

आज से 152 साल पहले हमारे देश में एक ऐसे सन्यासी ने जन्म लिया था जिसने समूची दुनिया को भारत के प्राचीन ज्ञान की रौशनी से जगमग कर दिया। 12 जनवरी 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ था। डेढ़ सौ साल में वक्त बदल गया, विरासत और सियासत बदल गई। एक गुलाम मुल्क, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया. आज हम आपको Swami Vivekananda Interesting Facts in Hindi और उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से बताएंगे जो आपने आज तक नहीं पढ़े होंगे.

1. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक रूढ़िवादी हिन्दु परिवार में हुआ था।

2. वास्तव में उनकी मां ने उनका नाम वीरेश्वर रखा था तथा उन्हें अक्सर बिली कहकर बुलाया जाता था। बाद में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया।

3. भारत में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

4. उनके पिता की मृत्यु के बाद स्वामी जी के परिवार ने बहुत गरीबी में जीवन बिताया। एक दिन के भोजन के लिए उनकी मां और बहन को बहुत संघर्ष करना पड़ता था। कई बार स्वामी जी दो दो दिनों तक भूखे रहते थे ताकि परिवार के अन्य लोगों को पर्याप्त भोजन मिल सके।

5. बी.ए. की डिग्री होने के बावजूद स्वामी विवेकानंद को नौकरी की खोज में भटकना पड़ा। वे लगभग नास्तिक बन चुके थे क्योंकि भगवान से उनका विश्वास हिल गया था।

6. 11 सितम्बर को “विश्व भाईचारा दिवस” मनाया जाता है। इसी दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म संसद में अपना भाषण दिया था। विडम्बना यह है कि 11 सितम्बर को ही वर्ष 2001 में इतिहास का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ।

7. स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी की थी कि वे 40 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उनकी यह बात तब सच साबित हो गई जब 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु 39 वर्ष की उम्र में ही हो गई। उन्होने समाधि की अवस्था में अपने प्राण त्यागे। उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था।

8. स्वामी विवेकानंद को 31 बीमारियाँ थी एक बीमारी उनका निद्रा रोग से ग्रसित होना था। उन्होंने 29 मई, 1897 को शशि भूषण घोष के नाम लिखे पत्र में कहा था कि मैं अपनी जिंदगी में कभी भी बिस्तर पर लेटते ही नहीं सो सका।

9. स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था। स्वामी जी ने कभी भी उनपर पूर्ण रूप से विश्वास नहीं किया। वे प्रत्येक बात पर रामकृष्ण की परीक्षा लेते थे और अंतत: अपना उत्तर प्राप्त करके ही रहते थे।

10. खेत्री के महाराजा अजीत सिंह स्वामीजी की मां को आर्थिक सहायता के तौर पर नियमित रूप से 100 रूपये भेजते थे। यह प्रबंध एकदम गोपनीय था।

11. सन् 1893 में अमेरिका स्थित शिकागो में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी जी ने अपने भाषण की शुरुआत ‘मेरे अमरीकी भाइयों एवं बहनों’ के साथ की थी, इसी प्रथम वाक्य ने सभी का दिल जीत लिया था।

12. स्वामी जी में इतनी सादगी थी कि 1896 में तो उन्होंने लंदन में कचौरियां तक बना दी थीं।

स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े रोचक किस्से और उनके ऐसे जवाब जिन्‍हें सुनकर झुक गया पूरा संसार :

1. गंगा हमारी माँ है और उसका नीर, जल नहीं, अमृत है

एक बार स्वामी विवेकानन्द जी अमेरिका में एक सम्मलेन में भाग ले रहे थे. सम्मलेन के बाद कुछ पत्रकारों ने उन से भारत की नदियों के बारे में एक प्रश्न पूछा.

पत्रकार ने पूछा – स्वामी जी आप के देश में किस नदी का जल सबसे अच्छा है?

स्वामी जी का उत्तर था – यमुना का जल सभी नदियों के जल से अच्छा है.

पत्रकार ने फिर पूछा – स्वामी जी आप के देशवासी तो बोलते है कि गंगा का जल सब से अच्छा है.

स्वामी जी का उत्तर था – कौन कहता है गंगा नदी है, गंगा हमारी माँ है और उस का नीर जल नहीं है, – अमृत है.

यह सुन कर वहाँ बैठे सभी लोग स्तब्ध रह गये और सभी स्वामी जी के सामने निरुत्तर हो गये.

2. सच्‍चा पुरुषार्थ

एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के समीप आकर बोली: “ मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ “

विवेकानंद बोले: ” क्यों?

मुझसे क्यों ?
क्या आप जानती नहीं की मैं एक सन्यासी हूँ?”

औरत बोली: “मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजोमयी पुत्र चाहती हूँ और ये तब संभव होगा जब आप मुझसे शादी करेंगे”

विवेकानंद बोले: “हमारी शादी तो संभव नहीं है, परन्तु हाँ एक उपाय है”

औरत: क्या?

विवेकानंद बोले “आज से मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूँ, आज से आप मेरी माँ बन जाओ…

आपको मेरे रूप में मेरे जैसा बेटा मिल जायेगा.

औरत विवेकानंद के चरणों में गिर गयी और बोली, आप साक्षात् ईश्वर के रूप है.

इसे कहते है पुरुष और ये होता है पुरुषार्थ…

एक सच्चा पुरुष सच्चा मर्द वो ही होता है जो हर नारी के प्रति अपने अन्दर मातृत्व की भावना उत्पन्न कर सके।

3. संस्कृति वस्त्रों में नहीं, चरित्र के विकास में है

एक बार जब स्वामी विवेकानन्द जी विदेश गए… तो उनका भगवा वस्त्र और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा, – आपका बाकी सामान कहाँ है ?

स्वामी जी बोले…. ‘बस यही सामान है’….

तो कुछ लोगों ने व्यंगय किया कि… ‘अरे! यह कैसी संस्कृति है आपकी ? तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी है…….कोट – पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है ?

इस पर स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराए और बोले, – ‘हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है…. आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते हैं… जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है.

– संस्कृति वस्त्रों में नहीं, चरित्र के विकास में है.

1. अपनी भाषा पर गर्व

एक बार स्वामी विवेकानंद विदेश गए जहाँ उनके स्वागत के लिए कई लोग आये हुए थे उन लोगों ने स्वामी विवेकानंद की तरफ हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया और इंग्लिश में HELLO कहा जिसके जवाब में स्वामी जी ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कहा… उन लोगो को लगा की शायद स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती है तो उन लोगो में से एक ने हिंदी में पूछा “आप कैसे हैं”?? तब स्वामी जी ने कहा “आई एम् फ़ाईन थैंक यू”

उन लोगो को बड़ा ही आश्चर्य हुआ उन्होंने स्वामी जी से पूछा की जब हमने आपसे इंग्लिश में बात की तो आपने हिंदी में उत्तर दिया और जब हमने हिंदी में पूछा तो आपने इंग्लिश में कहा इसका क्या कारण है ?

तब स्वामी जी ने कहा……..जब आप अपनी माँ का सम्मान कर रहे थे तब मैं अपनी माँ का सम्मान कर रहा था और जब आपने मेरी माँ का सम्मान किया तब मैंने आपकी माँ का सम्मान किया.

यदि किसी भी भाई बहन को इंग्लिश बोलना या लिखना नहीं आता है तो उन्हें किसी के भी सामने शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं है बल्कि शर्मिंदा तो उन्हें होना चाहिए जिन्हें हिंदी नहीं आती है क्योंकि हिंदी ही हमारी राष्ट्र भाषा है हमें तो इस बात पर गर्व होना चाहिए की हमें हिंदी आती है…..

क्या आपने किसी देश को देखा है जहाँ सरकारी काम उनकी राष्ट्र भाषा को छोड़ कर किसी अन्य भाषा या इंग्लिश में होता हो……..यहाँ तक की जो भी विदेशी मंत्री या व्यापारी हमारे देश में आते हैं वो अपनी ही भाषा में काम करते हैं या भाषण देते हैं फिर उनके अनुवादक हमें हमारी भाषा या इंग्लिश में अनुवाद करके समझाते हैं……

जब वो अपनी भाषा नहीं छोड़ते तो हमें हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी को छोड़कर इंग्लिश में काम करने की क्या जरुरत है……

 

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