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किस्से कहानियाँ

चमगादड़, पशु और पक्षी ईसप की कहानी Chamgadad, Pashu Aur Pakshi Aesop’s Fable Story in Hindi

चमगादड़, पशु और पक्षी ईसप की कहानी Chamgadad, Pashu Aur Pakshi Aesop's Fable Story in Hindi

बहुत समय पहले की बात है। जंगल में शांति से रहने वाले पशुओं और पक्षियों के मध्य किसी बात को लेकर अनबन हो गई। ये अनबन इतनी बढ़ी कि दोनों पक्षों में युद्ध छिड़ गया।

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पशुओं की लंबी-चौड़ी सेना थी, जिसमें राजा शेर के अतिरिक्त लोमड़ी, भेड़िया, भालू, जिराफ़, सियार, ख़रगोश जैसे कई छोटे-बड़े जानवर सम्मिलित थे। वहीं आकाश में विचरण करने वाले पक्षियों की सेना भी कुछ कम न थी, उसमें चील, गिद्ध, कौवा, कबूतर, मैना, तोता सहित कई पक्षी सम्मिलित थे।

चमगादड़, पशु और पक्षी ईसप की कहानी Chamgadad, Pashu Aur Pakshi Aesop's Fable Story in Hindi

चमगादड़ बहुत परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसकी सेना में सम्मिलित हो। उसे अकेला देख पक्षी उसके पास आये और उसे आमंत्रित करने लगे, “चमगादड़ भाई, आओ हमारा साथ दो।”

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“मैं तुम्हारे साथ कैसे आ सकता हूँ? देखो मुझे, पंख हटा दिया जाएं, तो मैं तो हूबहू चूहे के समान दिखता हूँ। मैं तो पशु हूँ। मुझे क्षमा करो।” चमगादड़ ने उत्तर दिया।
चमगादड़ का उत्तर सुन पक्षी चले गए।

पक्षियों के जाने के बाद पशुओं की मंडली उसके पास आई और बोली, “अरे भाई चमगादड़, यहाँ अकेले क्यों बैठे हो? आओ हमारी सेना में आ जाओ।”
“तुम्हें मेरे पंख दिखाई नहीं पड़ते। मैं तो पक्षी हूँ। कैसे तुम्हारी सेना में सम्मिलित हो जाऊं।” चमगादड़ ने अपना पल्ला झाड़ा।
पशु भी चले गए।

चमगादड़, पशु और पक्षी ईसप की कहानी Chamgadad, Pashu Aur Pakshi Aesop's Fable Story in Hindi
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कुछ दिनों बाद पशुओं और पक्षियों की अनबन समाप्त हो गई। दोनों पक्षों में मित्रता हो गई। जंगल में मंगल हो गया। सभी आनंद मनाने लगे।

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उन्हें आनंद मनाता देख चमगादड़ ने सोचा कि अब मुझे किसी एक दल में सम्मिलित हो जाना चाहिए। वह पक्षियों के दल के पास गया और उनसे निवेदन किया कि वे उसे अपन दल में ले लें। किंतु, पक्षियों ने यह कहकर मना कर दिया, “अरे तुम तो पशु हो। ऐसे में तुम हमारे दल में कैसे आ सकते हो?”

मुँह लटकाकर चमगादड़ पशुओं के पास पहुँचा और उनसे भी यही निवेदन किया। पशुओं ने भी उसे अपने दल में स्वीकार नहीं किया। वे बोले,
“क्या तुम भूल गए हो कि तुम्हारे पंख है और तुम एक पक्षी हो।”

चमगादड़ क्या करता? वह समझ गया कि आवश्यकता पड़ने पर साथ न देने पर कोई भी मित्र नहीं रहता। तब से चमगादड़ अकेला ही रहता है।

सीख : आवश्यकता पड़ने पर सदा दूसरों का साथ दें। मौकापरस्त का कोई मित्र नहीं होता।

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