फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ये चैक करती है कि उसकी मौत हुई या नहीं, मौत की पुष्टि होने के बाद ही अपराधी को नीचे उतारा जाता है।
फांसी के समय जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटीव मजीस्ट्रेट और जलाद का मौजूदगी जरुरी होती है। इनमें किसी एक के भी ना होने पर फांसी नही दी जा सकती।
