इस जनजाति की खोज सन् 1974 में की गई थी। उससे पहले इनके बारे में कोई भी नहीं जानता था। इसके बाद यहां पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया, जिससे वेश्यावृत्ति बढ़ने लगी और 1999 में ये सब कुछ बंद हो गया। इस जनजाति के लोग बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं। ये लोग पेड़ों पर घर बना कर रहते है। क्योंकि ये लोग खुद को पेड़ो पर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है। यह जनजाति आजीविका के लिए शिकार करते हैं और इनका निशाना भी बेहतर होता हैं।
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