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Jagannath Puri Rath Yatra 2021 “जगन्नाथ रथ यात्रा” रोचक तथ्य

Jagannath Puri Rath Yatra

धरती का बैकुंठ धाम कहे जाने वाले भगवान जगन्नाथ की मशहूर जगन्नाथ रथ यात्रा प्रतिवर्ष भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बड़े ज़ोरों शोरों से निकाली जाती है। इस आर्टिकल में जगन्नाथ रथ यात्रा के इतिहास से जुडी कहानी को जानेंगे।

हिन्दुओं के चारों धाम के तीर्थ में से एक उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान श्री जगन्नाथ जी का मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है की मरने से पहले हर हिन्दू को चारों धाम की यात्रा करनी चाहिए जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जगन्नाथ मंदिर के बारे में कुछ ख़ास बातें

1- 400,000 वर्ग फुट में फैला भगवान जगन्नाथ का मंदिर देश के धनवान मंदिरों में से एक है।

2- जून 2018 में मंदिर के खजाने की चाबी गुम हो जाने के बाद मंदिर काफी चर्चा में रहा था।

3- मंदिर में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है।

4- मंदिर के शीर्ष पर लाल रंग का ध्वज लगा है जो हमेशा हवा के विपरीत लहराता है।

5- पुराणों के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ माना गया है।

6- माना जाता है की भगवान श्रीकृष्ण आज भी यहां विराजमान रहते हैं।

7- मंदिर के शिखर पर चक्र और ध्वज स्थित हैं। अष्टधातु से निर्मित इस चक्र को नीलचक्र भी कहा जाता है, जिसे कहीं से भी देखा जा सकता है।

8- इस विशाल मंदिर का निर्माण कलिंग राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने शुरू कराया था। बाद में अनंग भीम देव ने इसे वर्तमान स्वरुप दिया था।

9- वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि भगवान जगन्नाथ का रथ एक मुसलमान भक्त सालबेग की मजार पर कुछ समय के लिए जरूर ठहरता है।

10- ऐसी मान्यता है कि मंदिर के ऊपर से कभी कोई भी पक्षी या विमान नहीं उड़ पाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का एक बहुत बड़ा महत्व हैं। मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा को निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुँचाया जाता हैं। यहाँ भगवान जगन्नाथ आराम करते हैं।

इसके लिए गुंडिचा माता मंदिर में धूमधाम से तैयारी की जाती है और मंदिर की सफाई के लिए इंद्रद्युमन सरोवर से पानी लाया जाता है। यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इसे पूरे भारत में एक त्योहार की तरह मनाया जाता है।

यात्रा के तीनों रथ लकड़ी के बने होते हैं जिन्हें श्रद्धालु खींचकर चलते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए लगे होते हैं एवं भाई बलराम के रथ में 14 व बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं। यात्रा का वर्णन स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, बह्म पुराण आदि में मिलता हैं।

माना जाता ही कि एक यात्रा में जो भी शामिल होता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने को लेकर प्रचलित कथाएं – Jagannath Puri Rath Yatra 2021

जगन्नाथ रथ यात्रा के निकलने को लेकर कई मान्यताएं हैं जिसमे से एक आधुनिक मान्यता के अनुसार माना जाता है की राजा रामचन्द्रदेव ने यवन की एक महिला से विवाह कर इस्लाम धर्म अपना लिया जिसके कारण उसका जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश निषेध हो गया। तब उनके लिए ही यह यात्रा निकाली जाने लगी क्योंकि वे जगन्नाथ जी के अनन्य भक्त थे।

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