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कल्पवृक्ष एक मुहिम Kalpavriksha ki Katha- Fatehpur Rahasya

प्राचीन काल से भारतभूमि मे पौराणिक मान्यताये व उनके प्रतीक चिह्न सनातन धर्म मे आस्था के केन्द्र बिन्दु रहे है। आस्था के यह केन्द्र आज भी मानवीय स्थापत्यकला के प्रतीक मन्दिर या फिर प्राकृतिक स्त्रोत के पर्याय वृक्ष, नदी, पर्वत आदि के रूप मे आज भी विद्यमान है, और आज भी आस्था के साथ पूज्यनीय है। प्राचीन भारतीय संस्कृति की विद्वता व उनके द्वारा प्रतिपादित मत या सिद्धान्त आज भी सम्पूर्ण विश्व के लिये शोध व खोज के विषय है। मरे ा यह लेख जनपद फतेहपुर मे खागा तहसील के अन्र्तगत सरौली ग्राम सभा मे धार्मिक महत्ता के साथ साथ सदियो से गौरवशाली इतिहास के प्रमाण रहे कल्पवृक्ष या पारिजात के उन दो वृक्षो के बारे मे है, जो सनातन धर्म मे आस्था के प्रतीक तो है, किन्तु प्रशासन की उपेक्षा व उचित संरक्षण के अभाव मे नष्ट होने की कगार मे है।

Fatehpur Rahasya

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार

पौराणिक मान्यता कल्पवृक्ष(पारिजात) को समुद्र म ंथन से निकला
दिव्य वृक्ष बताती है और स्वर्ग के वृक्ष के रूप म े स्थापित करती है। कल्पवृक्ष को
पारिजात के नाम से भी जाना जाता है, कल्पवृक्ष(पारिजात) के पुष्पा े की महत्ता का
वर्णन धार्मिक ग्रन्थ महाभारत म े मिलता है। महाभारत के अनुसार म ेहरानगढ की
राजकुमारी कुन्ती ने शिव जी की पूजा करके शिव जी को पारिजात के पुष्पा े का
अर्पण किया था। धार्मिक ग्रन्था े म े कल्पवृक्ष(पारिजात) के फूल का े स्वर्ग के फूल की
संज्ञा से विभ ूषित किया गया है। प्राचीन काल म े म ेहरानगढ सिन्ध क्ष ेत्र के अन्र्तगत
आता था।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार

दैनिक जागरण के दिनांक 22 मई 2022 का े प्रयागराज के
कल्पवृक्ष के बार े म े प्रकाशित ल ेख व भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के वैज्ञानिक डा0
आरती गर्ग के अनुसार हिन्द महासागर से व्यापार स्थापित करने के उद्देश्य से
प्राचीन काल म े अफ्रीकी, पर्तगाली, डच और फ्रान्सीसी लोगा े के जरिये यह वृक्ष
पश्चिमी भारत वर्तमान के पाकिस्तान व अफगानिस्तान क्षेत्र म े आये थे। क्योकि
प्राचीन काल म े देबल बन्दरगाह(वर्तमान म े कराची) व्यापार का प्रमुख केन्द्र था।
पारिजात को बाआ ेबाब ट्री के नाम से भी जाना जाता है पारिजात के वृक्ष का े कही
कही विदेश से आन े के कारण विलायती इमली व कुछ जगहा े पर गुजरात क्ष ेत्र से
आने के कारण स्थानीय भाषा म े गुजराती इमली भी कहते है। भारतीय पारिजात या
कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम एडनसोनिया डिजिटाटा है।

फतेहपुर के पारिजात वृक्षो की स्थापना

पाकिस्तान सरकार के आफिसियल ट्विटर एकाउन्ट द्वारा 18
जुलाई 2018 को 07.30 बजे दी गयी जानकारी के अनुसार प्राचीन सिन्ध म े रोर
राजवंश का शासन था। 711 ईस्वी म े मुहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध क्ष ेत्र का े जीत
कर सर्वप्रथम तपा ेस्थली भारतभूमि इस्लाम की नींव खडी की थी। 8वी शताब्दी म े
अरब देश म े अली द्वारा लिखी गयी पुस्तक चचनामा म े मुहम्मद बिन कासिम की
सिन्ध विजय का पूर्ण वृतान्त लिखा है। उस पुस्तक म े अंकित विवरण के अनुसार
सिन्ध म े विजय के दौरान मुहम्मद बिन कासिम ने वहां के क्षत्रिया े का भीषण रक्तपात
किया था, इस बर्बर आक्रमण से वहा ं निवास कर रहे कुछ क्षत्रिय वंश अपने वंश का े
बचाने के उद्देश्य से सिन्ध से पलायन कर कन्नौज राज्य की ओर गये थ े। 7वी
शताब्दी म े कन्नौज काफी सुदृढ व सुरक्षित था जिस कारण से सिन्ध के क्षत्रियो
का यह सम ूह प्राचीन उत्तरापथ मार्ग से चलकर कन्नौज राज्य की पूर्वी सीमा (खागा)
के आस पास आकर बस गया था।

चचनामा व अन्य पुरातन ग्रन्था े के अध्ययन से जानकारी मिलती है
कि प्राचीनकाल म े राज्य सीमा निर्धारण अथवा पहचान स्थापित करने के लिये वृक्षा े
को लगाने की परम्परा का प्रचलन था। विभिन्न धार्मिक व ऐतिहासिक ग्रन्थो एवं
स्थानीय ला ेगा े से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिन्धु से विस्थापित क्षत्रिय सम ूह द्वारा
अपने म ूल निकास स्थान की पहचान बनाये रखने के उद्देश्य से अपन े बसावट के
स्थान सरौली गांव म े पारिजात के दो वृक्षा े का े लगाया था। जो कि आज भी जीवित
खड े है।
वर्तमान समय म े उत्तर प्रदेश म े कल्पवृक्ष(पारिजात) के दुर्लभ
वृक्ष इलाहाबाद के झूंसी, बाराबंकी के किन्त ूर, हमीरपुर व फतेहपुर जनपद के सरौली
गांव म े ही जीवित अवस्था म े है।
यह बड े दुःख का विषय है कि सनातन धर्म म े आस्था के प्रतीक
व पौराणिक महत्व रखने वाले दोनो पारिजात के वृक्ष जा े कि उस क्ष ेत्र के क्षत्रिया े व
सिन्धी बनियो के निकास स्थान से सम्बन्धित प्रमाण भी है, आज संरक्षण के अभाव म े
समाप्त होन े की कगार म े है। यदि सरौली के कल्पवृक्ष(पारिजात) के वृक्षो का संरक्षण
नही किया गया तो निकट भविष्य म े यह पारिजात के वृक्ष नष्ट हा े जायेगे और
स्वर्ग के फूल की बाते सिर्फ किताबी ज्ञान बनकर रह जायेगी।

साभार
ठाकुर आर0के0 सिंह
जिला उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा
फतेहपुर। 9161440001

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