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किस्से कहानियाँ

राक्षस का भय की कहानी Rakshas Ka Bhay Story in Hindi

राक्षस का भय की कहानी Rakshas Ka Bhay Story in Hindi

एक नगर में भद्रसेन नाम का राजा रहता था। उसकी कन्या रत्‍नवती बहुत रुपवती थी। उसे हर समय यही डर रहता था कि कोई राक्षस उसका अपहरण न करले । उसके महल के चारों ओर पहरा रहता था, फिर भी वह सदा डर से कांपती रहती थी । रात के समय उसका डर और भी बढ़ जाता था ।

एक रात एक राक्षस पहरेदारों की नज़र बचाकर रत्‍नवती के घर में घुस गया । घर के एक अंधेरे कोने में जब वह छि़पा हुआ था तो उसने सुना कि रत्‍नवती अपनी एक सहेली

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राक्षस का भय की कहानी Rakshas Ka Bhay Story in Hindi

से कह रही है “यह दुष्ट विकाल मुझे हर समय परेशान करता है, इसका कोई उपाय कर ।”

राजकुमारी के मुख से यह सुनकर राक्षस ने सोचा कि अवश्य ही विकाल नाम का कोई दूसरा राक्षस होगा, जिससे राजकुमारी इतनी डरती है । किसी तरह यह जानना चाहिये कि वह कैसा है ? कितना बलशाली है ? यह सोचकर वह घोड़े का रुप धारण करके अश्‍वशाला में जा छिपा ।

उसी रात कुछ देर बाद एक चोर उस राज-महल में आया । वह वहाँ घोड़ों की चोरी के लिए ही आया था । अश्‍वशाला में जा कर उसने घोड़ों की देखभाल की और अश्‍वरुपी राक्षस को ही सबसे सुन्दर घोड़ा देखकर वह उसकी पिठ पर चढ़ गया । अश्‍वरुपी राक्षस ने सम्झा कि अवश्यमेव यह व्यक्ति ही विकाल राक्षस है और मुझे पहचान कर मेरी हत्या के लिए ही यह मेरी पीठ पर चढ़ा है । किन्तु अब कोई चारा नहीं था । उसके मुख में लगाम पड़ चुकी थी । चोर के हाथ में चाबुक थी । चाबुक लगते ही वह भाग खड़ा हुआ ।

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राक्षस का भय की कहानी Rakshas Ka Bhay Story in Hindi

कुछ दूर जाकर चोर ने उसे ठहरने के लिए लगाम खींची, लेकिन घोड़ा भागता ही गया । उसका वेग कम होने के स्थान पर बढ़ता ही गया । तब, चोर के मन में शंका हुई, यह घोड़ा नहीं बल्कि घोड़े की सूरत में कोई राक्षस है, जो मुझे मारना चाहता है । किसी ऊबड़-खाबड़ जगह पर ले जाकर यह मुझे पटक देगा । मेरी हड्डी-पसली टूट जायेगी ।

यह सोच ही रहा था कि सामने वटवृक्ष की एक शाखा आई । घोड़ा उसके नीचे से गुजरा । चोर ने घोडे़ से बचने का उपाय देखकर शाखा को दोनों हाथों से पकड़ लिया । घोड़ा नीचे से गुज़र गया, चोर वृक्ष की शाखा से लटक कर बच गया ।

उसी वृक्ष पर अश्‍वरुपी राक्षस का एक मित्र बन्दर रहता था । उसने डर से भागते हुये अश्‍वरुपी राक्षस को बुलाकर कहा-

“मित्र ! डरते क्यों हो ? यह कोई राक्षस नहीं, बल्कि मामूली मनुष्य है । तुम चाहो तो इसे एक क्षण में खाकर हज़म कर लो ।”

चोर को बन्दर पर बड़ा क्रोध आ रहा था ।

राक्षस का भय की कहानी Rakshas Ka Bhay Story in Hindi

बन्दर उससे दूर ऊँची शाखा पर बैठा हुआ था । किन्तु उसकी लम्बी पूंछ चोर के मुख के सामने ही लटक रही थी । चोर ने क्रोधवश उसकी पूंछ को अपने दांतों में भींच कर चबाना शुरु कर दिया । बन्दर को पीड़ा तो बहुत हुई लेकिन मित्र राक्षस के सामने चोर की शक्ति को कम बताने के लिये वह वहाँ बैठा ही रहा । फिर भी, उसके चेहरे पर पीड़ा की छाया साफ नजर आ रही थी।

उसे देखकर राक्षस ने कहा – “मित्र ! चाहे तुम कुछ ही कहो, किन्तु तुम्हारा चेहरा कह रहा है कि तुम विकाल राक्षस के पंजे में आ गये हो ।”

यह कह कर वह भाग गया ।

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