क्विज़ खेलों और पैसे कमाओ

Download App from Google Play Store
किस्से कहानियाँ

बीरा बैण (बहन) हिन्दी लोक कथा Bira Bain (Bahin) Story in Hindi

बीरा बैण (बहन) हिन्दी लोक कथा Bira Bain (Bahin) Story in Hindi

बहुत पुरानी बात है। उत्तराखंड के जंगल में एक विधवा बुढ़िया रहती थी। उसके सात बेटे थे और एक प्यारी-सी बेटी थी । बेटी का नाम था बीरा। कुछ दिनों बाद जब बुढ़िया की मृत्यु हो गई, तो उसके ये बच्चे अनाथ हो गए। सातों भाई शिकार खेलने के शौकीन थे।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : दुर्भावना का फल हिन्दी लोक कथा

एक दिन वे सातों भाई मिलकर एक साथ शिकार खेलने निकले। उन्होंने चलते-चलते अपनी बहन बीरा से कहा-तुम हमारे लिए भोजन बनाकर रखना, हम जल्दी लौट कर आ जाएंगे।

भाइयों के जाने के बाद झोंपड़ी में बीरा अकेली रह गई। बीरा ने आग जलाकर खीर बनाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद खीर उबल कर चूल्हे में गिर गई। इससे आग बुझ गई।

बीरा बहुत परेशान हुई। उसके पास माचिस भी नहीं थी, वह आग कैसे जलाती? उसके आस-पास कोई घर भी नहीं था। अब वह आग कहां से मांग कर लाए? वह अपनी झोंपड़ी से निकल कर जंगल में दूर तक निकल गई। देखने लगी कि कोई घर मिले, तो वहां से आग मांग ले।

बीरा बैण (बहन) हिन्दी लोक कथा Bira Bain (Bahin) Story in Hindi

चलते-चलते उसे एक बड़ा-सा मकान दिखाई दिया। उसने मकान के सामने जाकर उसका दरवाजा खटखटाया। दरवाजा एक औरत ने खोला। औरत ने बीरा को देखकर कहा-‘तुम यहां से चली जाओ। यह राक्षस का घर है। वह अभी आने वाला है। तुम्हें देखेगा, तो तुम्हें खा जाएगा।’

बीरा ने कहा-‘बहन! मुझे थोड़ी-सी आग चाहिए। खाना बनाना है। बड़ी जोर की भूख लगी है।’

हमारे इस कहानी को भी पड़े : सोने का भिक्षापात्र हिन्दी लोक कथा

वह औरत राक्षस की पत्नी थी, लेकिन जब बीरा ने उसे बहन कहा, तो उसे बीरा पर दया आ गई। उसने बीरा को जल्दी से थोड़ी-सी आग दे दी। उसने उसे चौलाई भी दी और कहा-‘तुम यहां से जल्दी निकल जाओ। ऐसा करना कि रास्ते में इस चौलाई के दानों को गिराती जाना। जहां भी दो रास्ते मिलें, वहां के बाद चौलाई मत गिराना। इससे राक्षस रास्ता भटक जाएगा और तुम्हारे घर तक नहीं पहुंच सकेगा। याद रखना इस चौलाई को अपने घर तक मत ले जाना, नहीं तो राक्षस वहीं पहुंच जाएगा।’

बीरा अपने साथ चौलाई ले गई और उसके दाने रास्ते में गिराती गई। वह जल्दी-जल्दी जा रही थी। वह राक्षस की पत्नी की बात भूल गई। उसने पूरे रास्ते पर चौलाई के दारे गिरा दिए। कुछ दाने अपने घर तक भी ले गई।

बीरा बैण (बहन) हिन्दी लोक कथा Bira Bain (Bahin) Story in Hindi

जब राक्षस अपने घर लौट कर आया, तो उसे मनुष्य की गंध आने लगी। वह समझ गया कि आज जरूर कोई मनुष्य मेरे घर आया है। उसने अपनी पत्नी से पूछा- ‘आदमी की गंध आ रही है, क्या कोई आदमी हमारे घर आया था?’

उसकी पत्नी ने कहा-‘नहीं तो। यहां तो कोई नहीं आया।’

राक्षस ने अपनी पत्नी को पहले तो खूब डांटा। फिर मारना-पीटना शुरू कर दिया। डर के मारे उसकी पत्नी ने राक्षस को बीरा के आने की बात बता दी। सुनते ही वह राक्षस बीरा की तलाश में निकल पड़ा। वह चौलाई के बीज देखता हुआ बीरा की झोंपड़ी तक पहुंच गया। झोंपड़ी में बीरा अकेली थी। तब तक उसके भाई नहीं लौटे थे। उसने अपने भाइयों के लिए खाना बनाकर सात थालियों में परोस कर रखा हुआ था। राक्षस को देखकर वह डर गई और पानी के पीपे में छिपकर बैठ गई। राक्षस ने सारा खाना खा लिया। खाने के बाद वह पानी के पीपे की ओर गया। सारा पानी पीने के बाद उसने खाली पीपे में बैठी बीरा को पकड़ लिया। वह बीरा को जीवित निगल गया।

खा-पीकर राक्षस झोंपड़ी के दरवाजे पर सो गया, क्योंकि उसे बहुत जोर की नींद आ रही थी। जब बीरा के भाई लौटकर आए, तो उन्होंने राक्षस को दरवाजे पर सोते हुए पाया। उन्होंने देखा बीरा घर में नहीं है। वे समझ गए कि जरूर इस राक्षस ने हमारी बीरा बहन को खा लिया है। उन्होंने तुरंत राक्षस के हाथ-पैर काट डाले। फिर उसका पेट फाड़ दिया। राक्षस मर गया और उसके पेट से बीरा भी निकल आई।

इसके बाद वे भाई-बहन सुख पूर्वक रहने लगे। जब भी वे कभी बाहर जाते, तो कोई न कोई भाई बीरा के पास जरूर रह जाता था।

Rate this post

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button

Adblock Detected

गजब अड्डा के कंटेन्ट को देखने के लिए कृपया adblocker को disable करे, आपके द्वारा देखे गए ads से ही हम इस साइट को चलाने मे सक्षम है