Gazab Adda
अजब गज़ब दुनिया की हिंदी खबरे

तेनालीराम की खोज की कहानी Tenaliram Ki Khoj Story in Hindi

तेनालीराम की खोज की कहानी Tenaliram Ki Khoj Story in Hindi

एक बार तेनालीराम महाराज से किसी बात पर रूठा हुआ था कि महाराज कृष्णदेवराय ने उसे फिर से किसी बात पर डांट दिया। जिसकी वजह से तेनालीराम बिना बताएं वहाँ से कहीं चला गया और दरबार में आना बंद कर दिया। महाराज को लगा एक दो दिन बाद खुद ही आ जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ सप्ताह बीत गया तेनालीराम दरबार में नहीं आया। जब महाराज को तेनालीराम की कमी खलने लगी तो उन्होंने एक सेवक को तेनालीराम के घर भेज दिया। वहाँ जाकर पता चला कि तेनालीराम बहुत दिनों से घर भी नहीं आया है।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : हीरों का सच: तेनालीराम की कहानी

अब महाराज परेशान हो गए कि आखिर तेनालीराम गया तो गया कहाँ ? उन्होंने पूरे विजयनगर में गुप्तचर फैला दिए । सारा विजयनगर छान मारा गया लेकिन तेनालीराम का कहीं पता नहीं चला। तब महाराज को विचार आया की क्यों न आसपास के गावों में खबर फैला दी जाएँ कि महाराज अपने राजकीय कुएं का विवाह कर रहे हैं इसलिए गावों के मुखियाओं को आदेश दिया जाता है कि वो अपने-अपने गावों के कुएं को लेकर विजयनगर पहुँच जाएँ जो मुखिया आदेश का उल्लंघन करेगा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। महाराज जानते थे कि तेनालीराम जिस भी जगह होगा

हमारे इस कहानी को भी पड़े : राक्षस का भय की कहानी

तेनालीराम की खोज की कहानी Tenaliram Ki Khoj Story in Hindi

वह उस गाँव के मुखिया की मदद अवश्य करेगा और इसी तरह हम उसे खोज लेंगे। उधर महाराज की घोषणा सुनते ही तेनालीराम भी समझ गया कि ये सब उसका पता लगाने के लिए किया गया है। सभी गांवों के मुखिया ये घोषणा सुनकर हैरान थे ।वे सब सोच रहे थे कि आखिर महाराज को हो क्या गया है भला कुँए भी कहीं उठकर जाता है। तेनालीराम जिस गाँव में रहता था उस गाँव का मुखिया भी काफी परेशान था कि तभी तेनालीराम उसके घर पहुँच गया और बोला, “ मैं आपका शुक्रगुजार हूँ जो आपने मुझे अपने गाँव में रुकने की जगह दी । मैं आपका ये उपकार जरुर चुकाऊंगा।”

मुखिया बोला “पर कैसे?” अब आप आसपास के गांवों के सभी मुखियाओं को एकत्रित कर लीजिए और मैं जैसा कहूँ आप वैसा ही करना इस तरह मैं आपको महाराज की घोषणा का हल बताऊंगा। तेनालीराम के कहें अनुसार उसने सभी गांवों के मुखियाओं को एकत्रित कर लिया और विजयनगर के बाहर जाकर डेरा डाला। तब तेनालीराम ने एक मुखिया को अपने पास बुलाया और बोला, “ अब तुम महाराज के पास जाकर बोलना कि महाराज आपके राजकीय कुँए के विवाह में सम्मिलित होने के लिए हमारे कुएँ राजधानी के बाहर ठहरे हुए है। कृपा करके आप अपने कुएँ को उनकी अगवानी के लिए भेज दीजिए।” मुखिया ने महाराज के पास जाकर वही कहा जो तेनालीराम ने बोला था। तब महाराज ने पूछा, “ तुम्हें ये सुझाव किसने दिया है।” मुखिया ने साफ़- साफ़ बता दिया कि कुछ दिनों से हमारे गाँव में एक आदमी आकर रह रहा है उसने मुझे ये सब बोलने के लिए बोला था।

मुखिया की बात सुनते ही महाराज समझ गए की हो -न -हो वो तेनालीराम ही होगा। महाराज बोले , “ वह अभी कहाँ है।” “महाराज वह अभी राजधानी के बाहर खड़ा है।”मुखिया ने कहा।

महाराज ने अपने सेवकों को तुरंत रथ तैयार कर राजधानी के बाहर जाने का आदेश दिया। कुछ ही देर में वो तेनालीराम को लेने के लिए राजधानी के बाहर पहुँच गए। तेनालीराम को देखते ही महाराज बहुत खुश हुए और उसे बड़े धूमधाम से दरबार में लाया गया। सभी मुखियाओं को भी पुरस्कार देकर विदा किया गया।

5/5 - (2 votes)
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.