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धर्म

भारत के ऐसे मंदिर जहां गैर-हिंदू नहीं रख सकते कदम, जाने क्यों

किसी भी प्रकार के बदलाव को अपनाना आसान नहीं होता, अक्सर उसके खिलाफ बवाल ही हो जाता है. कुछ ऐसा ही वातावरण तब बन गया जब अचानक खबर आई कि गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में बिना इजाजत के गैर हिन्दू दर्शन करने नहीं जा सकते. मंदिर के ट्रस्ट द्वारा लिया गया यह फैसला सीधा श्रद्धालुओं की भावनाओं को चीरता हुआ पाया गया, जब यह बताया गया कि केवल हिन्दू धर्म में जन्मे लोग ही इस पवित्र स्थान के दर्शन के लिए आ सकते हैं और यदि किसी गैर-हिन्दू को मंदिर में जाना है तो उसे पहले मंदिर के ट्रस्ट बोर्ड से इजाजत लेनी होगी. इस फैसले के पीछे ट्रस्ट बोर्ड का कहना है कि यह फैसला मंदिर की सुरक्षा को एक अहम आधार बनाकर लिया गया है. लेकिन दूसरी ओर लोगों का यह मानना है कि यह गैर-हिन्दुओं के साथ सरासर नाइंसाफी है.

भारत के ऐसे मंदिर जहां गैर-हिंदू नहीं रख सकते कदम, जाने क्यों

हर किसी को एक धार्मिक स्थल के दर्शन करने का पूर्ण अधिकार है, फिर चाहे वह हिन्दू हो या किसी भी अन्य धर्म से संबंध रखने वाला इंसान। लेकिन इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुए भी मंदिर ट्रस्ट बोर्ड अपना फैसला बदलने को तैयार नहीं है।

पूरे भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थल, या फिर यहां हम केवल हिन्दू मंदिरों की बात करेंगे जहां पर गैर-हिन्दुओं को जाने की मनाही है. इनमें से ज्यादातर मंदिर भारत के दक्षिणी छोर पर ही स्थित हैं. तो आइए आगे आपका परिचय उन मंदिरों से कराते हैं, जहां चाहकर भी कोई गैर-हिन्दू कदम नहीं रख सकता है और ऐसा क्यों, इसके विभिन्न कारण हैं.

आइये जानते है, अगली स्लाइड में देखे

1. गुरवायूर मंदिर, केरल

केरल राज्य के अति प्राचीन एवं अत्यधिक प्रसिद्ध ‘गुरवायूर मंदिर’ में भी किसी गैर-हिन्दू को जाने की अनुमति नहीं है. यह पवित्र स्थल भगवान कृष्ण को समर्पित है तथा यहां हिन्दुओं को भी दर्शन करने के लिए खास प्रकार के वस्त्र धारण करने पड़ते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु यदि पुरुष हैं तो उन्हें अपने कमर से ऊपर कोई भी वस्त्र नहीं पहनना होता है, यानी कि वे कोई शर्ट या फिर कुर्ता नहीं पहन सकते तथा निचले भाग पर ‘मुंडू’ नामक वस्त्र पहनना होता है. मुंडू एक प्रकार की सफेद धोती होती है जो दक्षिण भारत में काफी आम देखी जाती है. महिलाओं की बात करें, तो उन्हें इस मंदिर में दर्शन करने हैं तो केवल साड़ी ही पहननी होगी. इसके अलावा वे परम्परागत तरीके से सिला हुआ ब्लाउज और लंबी स्कर्ट भी पहन सकती हैं.

2. जगन्नाथ मंदिर, पुरी

श्रीजगन्नाथ मंदिर के दरवाज़े के निकट एक दिशा पट्टी लगी हुई है जिस पर लिखा है, ‘यहां केवल कट्टरपंथी हिन्दुओं को भीतर जाने की अनुमति है’. केवल यह एक टिप्पणी काफी है विभिन्न धर्मों में कलह को जन्म देने के लिए, लेकिन फिर भी हिन्दू धर्म के चार उच्च धामों में से एक माने जाने वाले श्रीजगन्नाथ पुरी मंदिर में आज भी गैर-हिन्दुओं को जाने की इजाजत नहीं है. इतना ही नहीं, जिन लोगों का गैर-हिन्दुओं से संबंध भी हो उन्हें भी यहां दर्शन करने की अनुमति नहीं है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है आज़ाद देश की सबसे पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी. श्रीमती इंदिरा गांधी भी एक बार दर्शन करने के मन से श्रीजगन्नाथ पुरी के मंदिर आई थीं, लेकिन उन्हें भीतर जाने की अनुमति नहीं दी गई. जिसका सबसे बड़ा कारण था उनके द्वारा एक गैर-हिन्दू यानी कि एक पारसी धर्म के व्यक्ति फिरोज़ गांधी से शादी करना.

3. काशी का विश्वनाथ मंदिर

भगवान शंकर की नगरी काशी में गंगा तट पर स्थित शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में भी गैर-हिंदुओं को जाने से रोका जाता है. लेकिन इस मंदिर में कट्टरपंथ कुछ मायनों में कम देखा गया है. ऐसा माना जाता है कि कई बार गैर-हिंदुओं को मंदिर में दर्शन करने की अनुमति प्रदान कर दी जाती है. लेकिन मंदिर के भीतर उत्तरी दिशा में स्थित ‘ज्ञान कुपोर’ कुएं के आसपास किसी भी गैर-हिन्दू को निकट भी नहीं जाने दिया जाता, क्योंकि यह स्थान मंदिर के सबसे पवित्र क्षेत्रों में से एक है, जहां केवल कट्टर हिन्दू ही जा सकते हैं.

4. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर

भुवनेश्वर शहर की सुंदरता ही उसमें समाए इस लिंगराज मंदिर से बनती है. रोज़ाना दूर-दूर से भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के उद्देश्य से ही भुवनेश्वर आते हैं लेकिन इसी बीच सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि केवल हिन्दू धर्म के लोग ही मंदिर के भीतर जा सकते हैं. आंकड़ों की मानें तो औसतन रोजाना इस मंदिर में छह हजार से ज्यादा भक्तों का जमावड़ा लगता है और त्यौहार के समय तो यह संख्या लाखों की तादात में पहुंच जाती है. कहते हैं कि इस मंदिर की महानता को देखते हुए दूर पश्चिमी देशों से भी भक्त दर्शन करने आते थे. लेकिन वर्ष 2012 में 35 वर्षीय एक रूसी पर्यटक ने यहां आकर मंदिर के कुछ कर्म-कांडों में अड़चन उत्पन्न कर दी. करीब चार घंटे तक उस इकलौते पर्यटक के कारण मंदिर में उथल-पुथल मच गया. जिसके बाद मंदिर के पुजारियों द्वारा मंदिर की शुद्धि करके तकरीबन 50,000 रुपये की कीमत रखने वाले प्रसाद को फेंका गया. इस घटना के बाद से ही मंदिर के ट्रस्ट बोर्ड द्वारा गैर-हिन्दुओं का मंदिर परिसर में दाखिल होना बंद करवाया गया.

5. पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुअनन्तपुरम

भारत के दक्षिणी छोर तिरुअनन्तपुरम में स्थित ‘पद्मनाभस्वामी मंदिर’ भगवान विष्णु के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है. यह एक ऐतिहासिक मंदिर है जिसका कई बार हिन्दू धर्म शास्त्रों एवं पुराण में वर्णन पाया जाता है. इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में त्रावणकोर के उस समय के राजा-महाराजाओं द्वारा बनवाया गया था. कहते हैं मंदिर बनवाते समय राजा द्वारा इस मंदिर की दीवारों में बेशकीमती खजाना गड़वाया गया था. इस खजाने की यदि कीमत लगाई जाए तो यह आज के जमाने में करीब 90 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है. यही कारण है कि हर समय यह मंदिर पुलिस बल से घिरा रहता है. इस मंदिर की इसी खूबसूरती को निहारने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन दुख की बात है कि यह मंदिर अपने ही देश के गैर-हिन्दुओं को अंदर आने की अनुमति प्रदान नहीं करता है.

6. कपालेश्वर मंदिर, चेन्नई

7वीं शताब्दी में निर्मित किया गया कपालेश्वर मंदिर तमिलनाडु के चेन्नई शहर में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का नाम भी शिवजी के नाम पर ही रखा गया है. मंदिर के नाम को विभाजित (कपा + अलेश्वर) करने पर कपा का अर्थ सिर निकलता है और अलेश्वर भगवान शिव का ही उपनाम है. इस मंदिर में भी विभिन्न कट्टर हिन्दू कारणों से गैर-हिन्दुओं के साथ-साथ किसी भी विदेशी पर्यटक का अंदर जाना मना है.

7. पशुपतिनाथ मंदिर, नेपाल

नेपाल देश की राजधानी काठमांडू में बागमती नदी पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर यहां के प्राचीन मंदिरों में से एक है. इस खास मंदिर में यदि आप अंदर जाना चाहते हैं तो इसकी कुछ अहम मर्यादाएं हैं, जिनका पालन करना बेहद आवश्यक है. केवल हिन्दू एवं बौद्ध मूल के लोग ही इस मंदिर के भीतर जाकर प्रार्थना कर सकते हैं. इसके अलावा विदेशी या फिर अन्य गैर-हिन्दू धर्म के लोग केवल नदी के दूसरे छोर से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. यह मंदिर हमेशा ही सुरक्षा व्यवस्थाओं से पूरित रहता है.

8. कामाक्षी मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के कांचिपुरम में स्थित कामाक्षी अम्मन मंदिर माता पार्वती के ही स्वरूप मां कामाक्षी को समर्पित है. इस मंदिर को श्रद्धालु शंकराचार्यजी के नाम से भी जानते हैं. बाकी सभी मंदिरों की तरह ही अपने कट्टर सिद्धांतों के कारण इस मंदिर में गैर-हिन्दुओं का आना मना है.

9. दिलवाड़ा मंदिर, माउंट आबू

माउंट आबू के दिलावाड़ा मंदिर में कुल पांच मंदिर है जिनकी अपनी ही एक खासियत है. इनका संबंध जैन सप्रदाय है और ऐसा माना जाता है कि यह दुनियाभर में मौजूद सबसे सुंदर जैन मंदिरों में से एक हैं. मंदिर में आने वाले हर एक भक्त का पूरा ख्याल रखा जाता है लेकिन जो एक बात सबको खलती है वो यह कि इस मंदिर में गैर-हिन्दू नहीं जा सकते.

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