किसी व्यक्ति के जीवन में व्यवसाय की स्थिति कैसी रहेगी, यह जानने के लिए जन्मकुंडली के अलावा हस्त रेखाओं का अध्ययन किया जाता है। हस्त रेखाओं के सटीक विश्लेषण से व्यवसाय में लाभ अथवा हानि की स्थिति आसानी से ज्ञात की जा सकती है।
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यदि भाग्य रेखा सामान्य से अधिक मोटी होकर मस्तिष्क रेखा पर रुक जाए, जीवन रेखा सीधी हो, हृदय रेखा में द्वीप का चिह्न हो तथा हाथ में एक से अधिक राहु रेखाएं हों, तो जातक के व्यवसाय में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। इसके साथ-साथ हाथ में स्थित विभिन्न ग्रह भी कमजोर या दोषपूर्ण हो, तो जातक के व्यवसाय में घाटा होता है।
भाग्य रेखा के ऊपर काला तिल, धब्बा, द्वीप, जीवन रेखा पर स्पष्ट जाल के अलावा अंगुलियों में टेढ़ापन नजर आता हो, तो व्यवसाय में धन व समय खर्च होने की तुलना में लाभ का प्रतिशत कम ही रहता है। यदि जातक भागीदारी के रूप में व्यवसाय कर रहा है, तो उसे आर्थिक नुकसान ही उठाना पड़ता है।
यदि भाग्य रेखा मोटी हो तथा टूटकर आगे बढ़ती हो, शनि, बुध व मंगल ग्रह कमजोर या खराब हो, शनि क्षेत्र पर सीढ़ीनुमा रचना बनी हो अथवा शनि का पर्वत अत्यधिक कटा-फटा व जालयुक्त हो तो, भी जातक को व्यावसायिक लाभ अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिल पाता है। जातक का मन अस्थिर होने से वह बदल-बदल कर व्यवसाय करने की योजनाएं बनाता है।
व्यवसाय की स्थिति उस दशा में भी खराब होती है जब हृदय रेखा टूटकर मस्तिष्क रेखा में मिल जाए, भाग्य रेखा पतली व दोषपूर्ण हो, हाथ के मध्य में भाग्य रेखा, जीवन रेखा या हृदय रेखा पर काला तिल हो। ऐसी स्थिति में व्यवसाय में आर्थिक क्षति, मानसिक कष्ट तथा व्यवसाय में रुकावट का सामना करना पड़ता है।
जिन हाथों में भाग्य रेखा, जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा के साथ-साथ शनि, बुध व मंगल पर्वत निर्दोष हों, वे जातक व्यवसाय में लाभ व उन्नति कर पाते हैं।