काशी में दुनिया का सबसे बड़ा श्मशान है और यहां के श्मशान को जाग्रत माना जाता है इसलिए यहां पर दुनिया भर से बहुत से तंत्र साधक तथा अघोरी अपनी साधना के लिए आते हैं। होली के समय पर ये अघोरी और अन्य तंत्र साधक होली खेलते हैं, पर यह दृश्य बहुत ज्यादा विचित्र होता है, क्योंकि वह न सिर्फ रंगों का प्रयोग करते हैं बल्कि श्मशान में जली चिताओं की भस्म से होली मनाते हैं। इस दौरान बहुत से लोग बड़े डमरू तथा ढोल बजा कर भगवान महाकाल की जय जयकार करते हैं और दुनिया के इस सबसे बड़े श्मशान में होली का यह उत्सव अपने आप में अनोखा होता है, जिसको देखने के लिए बहुत से लोग इक्कठे होते हैं। काशी में अपनी माता की डेड बॉडी लाने वाले राकेश यादव इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि ” ऐसा नजारा न आज तक देखा था, न सुना था। मृतक मां को अग्नि देने वाले अनिमेष ने बताया, जहा संसार का सारा गम होता है, वहीं यह उल्लास महादेव की मौजूदगी को दर्शाता है।” खैर, हम तो यही कहेंगे कि होली असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है और सभी लोग इसको अपनी मान्यताओं और विश्वास के अनुरूप ही मनाते हैं।
यहां चिता की भस्म से खेली जाती है होली, लोग देखकर हो जाते हैं चकित
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