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कौन हैं 30 साल से सजा काट रहे ‘बंदी सिंह’,

बंदी सिख पंजाब का अहम मुद्दा हैं. यह एक धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है. सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पिछले साल नवंबर में भी बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था जो अब तक जारी है.

पंजाब में बंदी सिंहों की रिहाई की मांग को लेकर एक बार फिर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, यह बंदी सिंह पिछले तीस साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. कौमी इंसाफ मोर्चा की ओर से इसे लेकर मोहाली में एक बड़ा मार्च निकाला गया था. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से इन बंदियों की रिहाई के लिए हस्ताक्षर मुहिम चलाई जा रही है.

हाल ही में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल व शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने रिहाई के समर्थन में भरे जा रहे फॉर्म पर हस्ताक्षर किए थे. आइए समझते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और क्यों ये पंजाब सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है.

कौन हैं बंदी सिंह (Bandi Singh)

बंदी सिंह उन सिख कैदियों को कहा जाता है, जिन्हें पंजाब के उग्रवाद में शामिल होने के लिए दोषी ठराहया गया था. आज भी कई बंदी सिंह देश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं. चूंकि 1990 के दशक की शुरुआत में ही पंजाब से आतंकवाद को खत्म किया जा चुका है, ऐसे में इन सिख बंदियों को छोड़े जाने की मांग की जा रही है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि ये कैदी पिछले तीस साल से जेल में हैं, इनमें कई शारीरिक और मानसिक परेशानियों को झेल रहे हैं, इसीलिए इन्हें रिहा किया जाना चाहिए.

अलग-अलग जेलों में बंद

बंदी सिंहों को पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद किया गया था. इनमें लखविंदर सिंह लाखा, गुरमीत सिंह, शमशेर सिंह और परमजीत सिंह चंडीगढ़ में हैं. वहीं गुरदीप सिंह खेड़ा, जो सेंट्रल जेल, अमृतसर में थे और पटियाला सेंट्रल जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना हाल ही पैरोल में रिहा हुए हैं. मामले में आरोपी सतनाम सिंह, दयाल सिंह लाहौर और सुच्चा सिंह यूपी की मुरादाबाद जेल में बंद हैं.

अपराध जिसमें ठहराए गए दोषी

बलवंत सिंह राजोआना को पूव्र सीएम बेअंत सिंह की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी. जबकि अन्य 19 कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के दौरान राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था. इस मामले में जगतार सिंह हवारा और जगतार सिंह तारा दोनों ही सह साजिशककर्ता बताए गए थे.

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पंजाब का अहम मुद्दा

बंदी सिख पंजाब का अहम मुद्दा हैं. यह एक धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है. सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पिछले साल नवंबर में भी बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था. अब फिर से कमेटी सक्रिय हो गई है और बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चला रही है. भाजपा भी इस मांग के पक्ष में रही है. फरवरी 2022 में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी बंदी सिखों को रिहा करने का मामला केंद्र के सामने उठाने का आश्वासन दे चुके हैं. उन्होंने भी बठिंडा यात्रा के दौरान सिख कैदियों की रिहाई की मांग वाले फॉर्म पर पर हस्ताक्षर किए थे.

सरकार ले सकती है निर्णय

बंदी सिंहों की रिहाई के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार से लगातार मांग की जा रही है. आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से अभी तक केंद्र सरकार को पत्र नहीं लिखा गया है. खुद शिअद के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल का आरोप है कि सिख बंदियों की रिहाई न होने के मामले में केंद्र व पंजाब की सरकारें कसूरवार हैं.

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