दूसरी औरत जिसका नाम होरबाई था, जिसके माँ-बाप की मौत के बाद उसके चाचा-चची ने उसकी शादी करा दी। उसकी होने वाली दुर्दशा उसके शादी के कार्ड पर ही लिखी थी, जिससे वो भली-भाँती परिचित थी और इसे अपना नसीब मान चुकी थी, क्योंकि सबके साथ यही तो होता आया है। हालाँकि उसके पति का निधन हो गया, जो कि अच्छा ही हुआ क्योकि इससे वो खुलकर अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर सकती थी। वो दिन रात अपनी देह बेच-बेच कर अपने बच्चियों को पढ़ाती रही ताकि उन्हें इस दलदल में न रहना पड़े।