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पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय व इतिहास | Jawaharlal Nehru Biography history In Hindi

जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय Jawaharlal Nehru Biography

जीवन परिचय बिंदुजवाहरलाल नेहरु जीवन परिचय
पूरा नामपंडित जवाहरलाल नेहरु
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कब हुआ14 नवम्बर 1889
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कहाँ हुआ थाइलाहबाद, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
माता-पिता का नाम स्वरूपरानी नेहरु, मोतीलाल नेहरु
पत्नीकमला नेहरु (1916)
बच्चेइंदिरा गाँधी
पंडित जवाहरलाल नेहरू का मृत्यु कब हुआ27 मई 1964, नई दिल्ली

जवाहर लाल नेहरू का आरम्भिक जीवन :

        जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू (1861–1931), एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित समुदाय से थे, स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। उनकी माता स्वरूपरानी थुस्सू (1868–1938), जो लाहौर में बसे एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी, मोतीलाल की दूसरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। जवाहरलाल तीन बच्चों में से सबसे बड़े थे, जिनमें बाकी दो लड़कियाँ थी।

        बड़ी बहन, विजया लक्ष्मी, बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। सबसे छोटी बहन, कृष्णा हठीसिंग, एक उल्लेखनीय लेखिका बनी और उन्होंने अपने भाई पर कई पुस्तकें लिखी। 1890 के दशक में नेहरू परिवारजवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी।

        उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया।

        जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग‎ में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए।

राजनीतिक जीवन :नेहरू ने ब्रिटेन में अपने समय के दौरान एक छात्र और एक बैरिस्टर के रूप में भारतीय राजनीति में रुचि विकसित की थी। 1912 में भारत लौटने के कुछ महीनों के भीतर, नेहरू ने पटना में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वार्षिक सत्र में भाग लिया। उन्होंने भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित सेंसरशिप अधिनियमों के खिलाफ भी बात की थी। नमक मार्च: 1930

नेहरू और कांग्रेस के अधिकांश नेता शुरू में ब्रिटिश नमक कर के उद्देश्य से सत्याग्रह के साथ सविनय अवज्ञा शुरू करने की गांधी की योजना के बारे में अस्पष्ट थे।  विरोध में भाप बनने के बाद, उन्हें प्रतीक के रूप में नमक की शक्ति का एहसास हुआ।  नेहरू ने अभूतपूर्व लोकप्रिय प्रतिक्रिया के बारे में टिप्पणी की, “ऐसा लग रहा था जैसे एक वसंत अचानक जारी किया गया था”

जवाहर लाल नेहरू जी के विचार

1. नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

2. संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।

3. असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।

4. दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।

5. लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयम में लक्ष्य नहीं।

6. लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।

        नेहरू जी भारत की दुर्दशा देखकर स्वतंत्रता आदोलन में कूद पड़े । उन्हें गाँधी जी का उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ । वे कई बार जेल गए । उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के उत्थान में लगा दिया । प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया ।27 मई 1964 को सुबह के समय पं. जवाहर लाल नेहरु  की तबीयत अचानक खराब हो गई थी, डॉक्टरों ने बताया उन्हे दिल का दौरा पङा है। दोपहर में पं. जवाहर लाल नेहरु  सभी देशवासियें को छोङकर अपने जीवन की अंतिम यात्रा पर चले गये । उनके जन्मदिन 14 नवंबर को ‘बाल दिवस ‘ के रूप में मनाया जाता है ।

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जवाहर लाल नेहरू की उपलब्धियां Jawahar Nehru Achievements

अगर हम जवाहरलाल नेहरू के जीवन के उपलब्धियों के बारे में बात करें तो उ, 1924 में इलाहाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में उन्होंने काम किया 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की और आजादी की मांग का प्रस्ताव पारित किया, 1936, 1937 और 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने, गुट निरपेक्ष आंदोलन का शुभारंभ जवाहरलाल नेहरू के द्वारा किया गया था .

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1947 में भारत आजादी के वक्त काँग्रेस में प्रधानमंत्री की दावेदारी के लिए चुनाव किये गये, जिसमे सरदार बल्लभ भाई पटेल एवम आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए. पर गाँधी जी के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री मंत्री नियुक्त किया गया. इसके बाद नेहरु जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने .स्वतन्त्रता के बाद भारत को सही तरह से गठित कर उसका नेतृत्व कर एक मजबूत राष्ट्र की नीव के निर्माण का कार्य नेहरु जी ने शिद्दत के साथ निभाया. भारत को आर्थिक रूप से निर्भीक बनाने के लिए भी इन्होने बहुत अहम योगदान दिया. आधुनिक-भारत के स्वप्न की मजबूत नीव का निर्माण किया . इन्होने शांति एवम संगठन के लिए ‘गुट-निरपेक्ष’ आन्दोलन की रचना की. इनकी बहुत मेहनत के बावजूद यह पकिस्तान और चीन से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध नहीं बना पाए .जवाहरलाल नेहरु को मिला सम्मान (Jawaharlal Nehru Awards)-1955 में नेहरु जी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाज़ा गया.जवाहरलाल नेहरु जी  की मृत्यु कब हुई एवं कैसे हुई   (Jawaharlal Nehru Death)-नेहरु जी अपने पड़ोसी देश चीन व् पाकिस्तान के साथ संबद्ध सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे. उनकी सोच थी कि हमें अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना चाहिए, लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया, जिससे नेहरु जी बहुत आघात पहुंचा. पाकिस्तान से भी काश्मीर मसले के चलते कभी अच्छे सम्बन्ध नहीं बन पाए.नेहरु जी की  27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से ‘स्वर्गवास’ हो गया. उनकी मौत भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षती थी.देश के महान नेताओं व् स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनकी याद में बहुत सी योजनायें, सड़क बनाई गई. जवाहरलाल नेहरु स्कूल, जवाहरलाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि की शुरुवात इन्ही के सम्मान में की गई.

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु ;

1962 के बाद नेहरू के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आने लगी, और उन्होंने 1963 तक कश्मीर में स्वस्थ होने में महीनों बिताए। कुछ इतिहासकार इस नाटकीय गिरावट का श्रेय भारत-चीन युद्ध पर उनके आश्चर्य और चिंता को देते हैं, जिसे उन्होंने विश्वास के विश्वासघात के रूप में माना। 26 मई 1964 को देहरादून से लौटने पर, वे काफी सहज महसूस कर रहे थे और हमेशा की तरह लगभग बजे बिस्तर पर सोने चले गए।  करीब 06:30 बजे तक उन्होंने आराम से रात गुजारी।  बाथरूम से लौटने के तुरंत बाद नेहरू ने पीठ में दर्द की शिकायत की।  उन्होंने उन डॉक्टरों से बात की जिन्होंने कुछ समय के लिए उनका इलाज किया, और लगभग तुरंत ही वह गिर गए।  दोपहर बाद उसकी मौत होने तक वह बेहोश रहा।  27 मई 1964 को स्थानीय समयानुसार 14:00 बजे लोकसभा में उनकी मृत्यु की घोषणा की गई;  मौत का कारण  दिल का दौरा बताया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू की क़िताबे – Jawaharlal Nehru Books

  • भारत और विश्व
  • सोवियत रूस
  • विश्व इतिहास की एक झलक
  • भारत की एकता और स्वतंत्रता
  • दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन (1939) (Glimpses Of World History)

पंडित जवाहर लाल नेहरू से संबंधित FAQs

पंडित जवाहर लाल नेहरूका जन्म कब और कहां हुआ?

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में हुआ।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यृ कब हुई थी?

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यृ 27 मई 1964 को हुई।

 पंडित जवाहर लाल नेहरू कौन से नंबर के प्रधानमंत्री थे?

पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे।

जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री कितने दिनों तक थे?

जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के तौर पर 17 वर्षों तक काम किया I

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