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गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय, दोहे एवं हिंदी अर्थ, रचनाएँ और अनमोल विचार

नाम ( Name )गोस्वामी तुलसीदास
असली नाम (Real Name )रामबोला दुबे
जन्म तारीख (Date of birth)13 अगस्त 1532
जन्म स्थान (Place of born )उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजपुर में
मृत्यु तिथि (Date of Death )31 जुलाई 1623
मृत्यु का स्थान (Place of Death)वाराणसी के अस्सी घाट
उम्र( Age)91 वर्ष (मृत्यु के समय )
भाषा (Language)अवधि
नागरिकता (Citizenship)भारतीय
धर्म (Religion)हिन्दू
जाति (Cast )ब्राह्मण
गुरु (Guru )नरहरिदास
नागरिकता(Nationality)भारतीय
वैवाहिक स्थिति (Marital Status)  शादीशुदा
शादी की तारीख (Marriage Date )विक्रम 1583 (1526 सीई) में ज्येष्ठ माह (मई-जून)

गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे एवं उनके हिंदी अर्थ  (Tulsi Das Dohe With Hindi Meaning):

गोस्वामी तुलसीदास के दोहे एवं जयंती| Tulsi Das Biography , Dohe and Jayanti in hindi
गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे
गोस्वामी तुलसीदास के दोहे एवं जयंती| Tulsi Das Biography , Dohe and Jayanti in hindi
गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे

तुलसीदास जी की प्रमुख रचनाएँ (Tulsidas ki rachnaye)

तुलसीदास जी की 12 रचनाएँ बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. भाषा के आधार पर इन्हें 2 ग्रुप में विभाजित किया गया है–

  • अवधी – रामचरितमानस, रामलला नहछू, बरवाई रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल और रामाज्ञ प्रश्न.
  • ब्रज – कृष्ण गीतावली, गीतावली, साहित्य रत्न, दोहावली, वैराग्य संधिपनी और विनायक पत्रिका.

इस 12 के अलावा 4 और रचनाएँ है जो तुलसीदास जी द्वारा रचित है, जिन्हें विशेष स्थान प्राप्त है वे है –

  • हनुमान चालीसा : इसमें अवधी में हनुमान को समर्पित 40 छंद, 40 चौपाई और 2 दोहे शामिल हैं और यह हनुमान की प्रार्थना है।
  • संकटमोचन हनुमानाष्टक : इसमें अवधी में हनुमान के लिए 8 श्लोक हैं।
  • हनुमान बाहुका : इसमें ब्रज में 44 श्लोक हैं जो हनुमान की भुजा का वर्णन करते हैं (भगवन हनुमान से वह उनके हाथ को ठीक करने के लिए प्रार्थना करते हैं)।
  • तुलसी सत्सई : इसमें अवधी और ब्रज दोनों में 747 दोहों का संग्रह है और सात सरगों या सर्गों में विभाजित है।

गोस्वामी तुलसीदास के अनमोल विचार, वचन

1.जिनके पास धर्म का ज्ञान है वे सभी कहते हैं कि सत्य ही परम धर्म है।

2.उदास न  होना, कुंठित न होना अथवा मन को टूटने ना देना ही सुख और समृद्धि का आधार है।

3. बिना पानी के बादलों के गरजने से बरसात नहीं होती। सच्चे वीर और पहलवान बेवजह नहीं दहाडते हैं, वे युद्ध में अपना शौर्य दिखाते हैं

4. मीठे वचन से चारों ओर सुख फैलाता हैं, किसी को भी वश में करने का ही ये एक मंत्र है इसलिए इंसान को चाहिए कि कठोर वचन छोड़कर मीठे वचन बोलने का प्रयास करें।

5. धन, सुख, संपत्ति व समृद्धि सभी धर्म के मार्ग में ही प्राप्त होते हैं।

6. वीर व बलवान पुरुष क्रोधित नहीं होते।

7. सर्वनाश की प्रमुख 3 कारण इस प्रकार है।

  • 1. दूसरों के धन की चोरी 
  • 2. दूसरे की पत्नी पर बुरी नजर 
  • 3. अपने ही मित्र की चरित्र व अखंडता पर शक


8.) जो इंसान निरंतर सुख करता रहता है, उन्हें जीवन में कभी नहीं सुख मिलता।

9.) जो अपनों को त्याग कर दुश्मनों के शिविर में चला जाता है। उसी के पुराने शिविर के अपने ही साथी दुश्मन को मारने के पश्चात उसे भी मार डालते हैं।

10.) दुष्टो व राक्षसों से समझौते की बात या नम्र शब्दों से कोई लाभ नहीं हो सकता। इसी प्रकार किसी धनवान व्यक्ति को छोटा मोटा उपहार देकर उसे शांत नहीं किया जा सकता

 11.अपने जीवन का अंत कर देने से कोई अच्छाई नहीं होती, सुख और आनंद का रास्ता जीवन से ही निकलता है ।

12.यदि जीवित रहेंगे तो सुख और आनंद की प्राप्ति कभी-ना-कभी अवश्य होगी

13.सम्मान की रक्षा भी हो, मांगा भी जाए और प्रियतम का नृत्य नया-नया स्नेह भी बढे – ये तीन विपरीत बातें हैं।

 14.जब तक इंसान के मन में काम की भावना, गुस्सा, अहंकार और लालच भरे हुए होते हैं। तब तक एक अज्ञानी व्यक्ति और मूर्ख व्यक्ति में कोई अंतर नहीं होता है। दोनो एक जैसे होते हैं।

15.किसी भी एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है।

  • 1. उदास व दुखी ना होना
  • 2. अपने कर्तव्य के पालन करने की क्षमता
  • 3. कठिनाइयों का बलपूर्वक सामना करने की क्षमता

“दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण।”

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