बचपन से ही डॉ कलाम का सपना पायलट बनने का था, लेकिन उनका सपना तब टूट गया जब योग्यता टेस्ट में वे फेल हो गए। रिजेक्ट होने पर वे भी काफी निराश हुए थे, लेकिन उनकी मंजिल तो कुछ और ही थी। आज पूरी दुनिया उनको मिसाइल मैन# Missile Man के नाम से जानती है। तो क्या पायलट बनने के टेस्ट में रिजेक्शन से उनका मूल्य कम हो गया ?
नहीं ना!
तो आइये जानते हैं कैसे रिजेक्ट होना भी आपकी ग्रोथ में मदद करता है ।
जब हम खुशियों के बारे में सोचते हैं तो हम सफलता और उपलब्धियों के बारे में सोचते हैं। असफलता या विशेष रूप से रिजेक्शन के बारे में शायद ही सोचते हैं। हमारी यह धारणा होती है कि, रिजेक्शन ऐसी चीज है जिससे हमें दूर रहना चाहिए, क्योंकि रिजेक्शन का मतलब है कि, आपका मूल्य कम है या आप किसी काम के नही हैं, क्या मैंने सही कहा?………..गलत..
अरे मान लीजिये आपने नौकरी के लिए आवेदन दिया है, लेकिन कम्पनी किसी और को यह जॉब दे देती है । आप तो मान बैठे कि आप में कम योग्यता है । परन्तु यह वैसा ही है जैसे आप कॉफी पीना चाहते हैं और कोई आपको चाय लाकर दे देता है, आप चाय को मना कर देते हैं क्योंकि आपको चाय नहीं पीना। इसका मतलब यह नहीं है कि आप चाय पसंद नहीं करते और चाय की कीमत कॉफी से कम है । चाय अपनी जगह है, उसका अपना स्वाद है , और कॉफ़ी, अपनी जगह । उसी तरह आपकी अपनी कुछ खासियत है,
जरूरत है तो बस उसे समझने वाले की, जिसके लिए आपको प्रयास, मेहनत करनी पड़ेगी ।
ऐसा आज के हमारे समाज में सफलता को मापने के तरीके के कारण होता है। पूंजीवाद # capitalism और सम्राज्य्वाद #imperialism के आने के बाद से हम सफलता को लाभ और सुविधाओं के रूपों में मापते हैं एक साधु या सन्यासी जिसे किसी भी सुख सुविधा की आवश्यकता नही, उसे पागल माना जाता है।
यू-टयूब पर एक चर्चित परीक्षण है, जिसे 100 days of rejection के नाम से जाना जाता है। जिसमें लोग जिया जियांग के निर्देशों का पालन करते हैं, और रोज एक प्रश्न पूछते हैं जिसका संभावित उत्तर ‘न ‘ हो। शुरू में उन्हें बहुत डर और अजीब लगता है, इसमें प्रश्न पूछना आगे और अधिक कठिन होता गया क्योंकि वे ऐसे प्रश्न चाहते थे जिनके लिए उत्तर ‘न हो हालाँकि परीक्षण खत्म होते -होते प्रतिभागियों का डर समाप्त हो गया, और वे जान गए कि रिजेक्शन से कैसा अनुभव होता है, और सबसे महत्वपूर्ण वे समझ गए कि यह अनुभव कुछ ही क्षणों के लिए है, और इसके बाद आप और अधिक मजबूत हो जाते हैं।
डर के आगे जीत है यह कहावत तो हम सबने सुनी है। हमें अपने डर का सामना करना है। डर के कारण एक ही जगह पर बैठने से शायद ही किसी का विकास हुआ हो। डर के बंधन से बाहर निकलिये और संभावनाओं के संसार में आगे बढ़िए, स्वयं को यह विश्वास दिलाइए कि रिजेक्शन एक अच्छा कदम है, और यह आपको ज्यादा मजबूती देता है। डर ज्यादा देर तक नहीं रहेगा और आप जान जाएंगे कि, आपको डर किस कारण से लगता है, और इससे निकलना कितना आसान है। फिर आप ये सोचेंगे कि ओह! मैं इससे डरता था? लेकिन अब मुझे इससे बेहतर लगता है। मैं बिना वजह डरता था?
मनोविज्ञान कहता है कि जब हमारे रास्तें में बाधाएं आती हैं तब हम इन्हे दूर करने के लिए अधिक प्रयास करते हैं जिससे हमारा कौशल#skill और बढ़ता है। उदाहरण के लिए यदि पहले प्यार में हमें रिजेक्शन मिलता है तो अगली बार इसकी संभावना अधिक होती है कि हम अपने प्रेमी को खास महसूस करायें, और अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की दिशा में लगे रहें । जिसके फलस्वरूप आपको यह विश्वास रहेगा कि आपके पास एक अच्छा और मजबूत रिश्ता है, जो जीवन की हर परिस्थिति में आपका साथ निभाएगा।
खुद को मजबूत बनाने के लिए डर का सामना करो। ऐसे सफल लोगों के जीवन से प्रेरणा लीजिये जिन्हे आप जानते हैं, और जो भावनात्मक रूप से मजबूत हैं, क्या उनके संघर्ष के दिन बहुत आसान थे ?
नहीं ना !